सिवनी जिले के लखनादौन से रीवा के बीच 287 किलोमीटर का एनएच जाएगा किराए पर!
(लिमटी खरे)
केंद्र सरकार का भूतल परिवहन मंत्रालय अब राष्ट्रीय राजमार्ग को भी लीज (किराए) पर देने की योजना बना रहा है। इसका श्रीगणेश केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्री नितिन गड़करी की कर्मभूमि महाराष्ट्र के नागपुर से सटे मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से हो सकती है। सिवनी जिले में लखनादौन से जबलपुर होकर रीवा जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग लीज पर दिया जा सकता है।
मध्य प्रदेश के रीवा से जबलपुर होकर सिवनी से नागपुर जाने वाला नेशनल हाईवे नंबर 07 पहले सबसे बड़ा और व्यस्ततम सड़क मार्ग माना जाता था। माना जाता था कि इस सड़क मार्ग का निर्माण लगभग साढ़े चार सौ साल पहले शेरशाह सूरी ने व्यापार के लिए करवाया था।
ज्ञातव्य है कि अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्वकाल में स्वर्णिम चतुर्भुज की अवधारणा लाई गई और उसके बाद उत्तर दक्षिण एवं पूर्व पश्चिम गलियारे का निर्माण कराया गया। इसके बाद से ही नेशनल हाईवे को नए नंबर देना आरंभ्ज्ञ कर दिया गया।
एनएचएआई के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को उक्ताशय के संकेत देते हुए बताया कि केंद्र सरकार के द्वारा हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशन्स, रेलगाड़ियों को लीज पर देने के बाद अब राष्ट्रीय राजमार्ग को लीज पर देने की योजना पर काम किया जा रहा है। इसके पीछे राजस्व संग्रहण ही सबसे बड़ा पहलू बताया जा रहा है।
सूत्रों ने आगे बताया कि मध्य प्रदेश में सिवनी जिले के लखनादौन से जबलपुर होकर दमोह, हीरापुर, छतरपुर होकर उत्तर प्रदेश को जाने वाले नेशनल हाईवे 34 एवं उत्तर प्रदेश से मनगवां, रीवा होकर जबलपुर, मण्डला, चिल्पी घाटी होकर रायपुर जाने वाले नेशनल हाईवे 30 के हिस्सों को मिलाकर लखनादौन से रीवा के बीच के 287 किलोमीटर के हिस्से को लीज पर दिया जा सकता है। यह लीज 20 से 25 साल के लिए हो सकती है।
एनएचएआई के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को आगे बताया कि दरअसल, सरकार को सड़कों को सुधारने, नई सड़कों के जाल बिछाने के लिए बहुत ज्यादा राशि की आवश्यकता है। बीओटी या बीयूटी के तहत सरकार को एकमुश्त राशि नहीं मिल पा रही है, जिससे सड़कों के जाल बिछाने का काम बहुत तेजी से नहीं हो पा रहा है। अनेक परियोजनाएं धनाभाव के कारण या तो बंद पड़ी हैं या बहुत ही धीमी गति से चल रही हैं।
क्या है टीयूटी, बीयूटी, बीओटी
सूत्रों का कहना था कि बने बनाए राजमार्गों को अगर टीयूटी के जरिए लीज पर दिया जाता है तो सरकार को एकमुश्त आय होने की संभावनाएं ज्यादा हैं।
बीओटी : बीओटी अर्थात बिल्ट ऑपरेट एण्ड ट्रांसफर, इसमें सरकार के द्वारा ठेकेदार को निर्माण की लागत दी जाती है, उसके बाद ठेकेदार उसे बनाता है और संधारण करने के निश्चित समयावधि के उपरांत सरकार को ट्रांसफर कर देता है।
बीयूटी : बीयूटी अर्थात बिल्ट, अर्न एण्ड ट्रांसफर, इसमें ठेकेदार बाजार से पैसा लाकर परियोजना में लगाकर निर्माण करता है। उसके बाद वह टोल के जरिए इसकी लागत निकालता है और लागत निकलने के बाद वह इसे सरकार को ट्रांसफर कर देता है।
टीयूटी : टीयूटी अर्थात टोल आपरेट एण्ड ट्रांसफर, इसमें बनी बनाई सड़क को सरकार के द्वारा लीज पर दे दिया जाता है। जब तक ठेकेदार के पास लीज रहती है वह सड़क के उस हिस्से में टोल वसूलता है, सड़क का संधारण करता है, और निर्धारित लीज की अवधि समाप्त होने पर उसे सरकार को दे देता है।
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि लखनादौन से रीवा के बीच नेशनल हाईवे 30 और 34 के हिस्से के निर्माण में लखनादौन और जबलपुर के बीच बरगी, जबलपुर से रीवा के बीच सिहोरा, मैहर और अमर पाटन में लगाए गए चार टोलों से हर दिन लगभग 70 से 75 लाख रूपए की वसूली हो रही है, जबकि सड़क के इस हिस्से के निर्माण में 04 हजार 348 करोड़ रूपए की लागत आई है। इस तरह पूरी लागत वसूलने में दो साल से भी ज्यादा समय लग जाएगा। इस लिहाज से सरकार को सड़कों का नया जाल बिछाने के लिए वित्त की व्यवस्था में बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।